हमारी शायरी पढ़ कर बस इतना सा बोले वो,
कलम छीन लो इनसे... ये लफ्ज़ दिल चीर देते है....
बस कीमत बता तू मुझे "मोहब्बत से रिहाई की!!
बहुत तकलीफ होती है तेरी यादों की सलाखों में..!!
कोशिश के बावजूद भी जो पूरी न हो सके,
तेरा नाम भी उन्ही ख्वाइशों में से है..!!